Friday, 26 May 2017

मितवा कहें धड़कने तुझसे कया

Veharbhi Music Studio,Himachal Pradesh
Director Sh. Parmjeet Pummy.
Flute By- Ajay Singh,
Instrumental song- Mitwa

Thursday, 25 May 2017

राधा का दर्द

                       राधा का दर्द .........


अब तक का सबसे सुदंर मैसेज .........

ये पढने के बाद एक "आह" और एक "वाह" जरुर निकलेगी...

कृष्ण और राधा स्वर्ग में विचरण करते हुए 
अचानक एक दुसरे के सामने आ गए

विचलित से कृष्ण- 
प्रसन्नचित सी राधा...

कृष्ण सकपकाए, 
राधा मुस्काई 

इससे पहले कृष्ण कुछ कहते 
राधा बोल💬 उठी-

"कैसे हो द्वारकाधीश ??"

जो राधा उन्हें कान्हा कान्हा कह के बुलाती थी
उसके मुख से द्वारकाधीश का संबोधन कृष्ण को भीतर तक घायल कर गया 

फिर भी किसी तरह अपने आप को संभाल लिया

और बोले राधा से ... 

"मै तो तुम्हारे लिए आज भी कान्हा हूँ
तुम तो द्वारकाधीश मत कहो!

आओ बैठते है ....
कुछ मै अपनी कहता हूँ 
कुछ तुम अपनी कहो

सच कहूँ राधा 
जब जब भी तुम्हारी याद आती थी
इन आँखों से आँसुओं की बुँदे निकल आती थी..." 

बोली राधा - 
"मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ
ना तुम्हारी याद आई ना कोई आंसू बहा
क्यूंकि हम तुम्हे कभी भूले ही कहाँ थे जो तुम याद आते

इन आँखों में सदा तुम रहते थे
कहीं आँसुओं के साथ निकल ना जाओ
इसलिए रोते भी नहीं थे

प्रेम के अलग होने पर तुमने क्या खोया
इसका इक आइना दिखाऊं आपको ?

कुछ कडवे सच , प्रश्न सुन पाओ तो सुनाऊ?

कभी सोचा इस तरक्की में तुम कितने पिछड़ गए
यमुना के मीठे पानी से जिंदगी शुरू की और समुन्द्र के खारे पानी तक पहुच गए ?

एक ऊँगली पर चलने वाले सुदर्शन चक्रपर भरोसा कर लिया 
और
दसों उँगलियों पर चलने वाळी
बांसुरी को भूल गए ?

कान्हा जब तुम प्रेम से जुड़े थे तो ....
जो ऊँगली गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को विनाश से बचाती थी
प्रेम से अलग होने पर वही ऊँगली
क्या क्या रंग दिखाने लगी ? 
सुदर्शन चक्र उठाकर विनाश के काम आने लगी

कान्हा और द्वारकाधीश में
क्या फर्क होता है बताऊँ ? 

कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर जाते
सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता

युद्ध में और प्रेम में यही तो फर्क होता है
युद्ध में आप मिटाकर जीतते हैं
और प्रेम में आप मिटकर जीतते हैं 

कान्हा प्रेम में डूबा हुआ आदमी
दुखी तो रह सकता है
पर किसी को दुःख नहीं देता

आप तो कई कलाओं के स्वामी हो
स्वप्न दूर द्रष्टा हो
गीता जैसे ग्रन्थ के दाता हो

पर आपने क्या निर्णय किया
अपनी पूरी सेना कौरवों को सौंप दी?
और अपने आपको पांडवों के साथ कर लिया ? 

सेना तो आपकी प्रजा थी
राजा तो पालाक होता है
उसका रक्षक होता है

आप जैसा महा ज्ञानी
उस रथ को चला रहा था जिस पर बैठा अर्जुन
आपकी प्रजा को ही मार रहा था
आपनी प्रजा को मरते देख
आपमें करूणा नहीं जगी ? 

क्यूंकि आप प्रेम से शून्य हो चुके थे

आज भी धरती पर जाकर देखो 

अपनी द्वारकाधीश वाळी छवि को
ढूंढते रह जाओगे 
हर घर हर मंदिर में
मेरे साथ ही खड़े नजर आओगे

आज भी मै मानती हूँ 

लोग गीता के ज्ञान की बात करते हैं
उनके महत्व की बात करते है

मगर धरती के लोग
युद्ध वाले द्वारकाधीश पर नहीं, i.
प्रेम वाले कान्हा पर भरोसा करते हैं

गीता में मेरा दूर दूर तक नाम भी नहीं है, 
पर आज भी लोग उसके समापन पर " राधे राधे" करते है". 
(Ajay Singh)
9675300547

Wednesday, 24 May 2017

बांके बिहारी जी को ईत्र भेंट, सुंदर रचना

            बांके बिहारी के चमत्कार कथा


एक व्यक्ति पाकिस्तान से एक लाख रुपैये का रूहानी इत्र लेकर आये थे। क्योंकि उन्होंने संत श्री हरिदास जी महाराज औरबांके बिहारी के बारे में सुना हुआ था। उनके मन में आये की मैं बिहारी जी को ये इत्र भेंट करूँ। इस इत्र की खासियत ये होती है की अगर बोतल को उल्टा कर देंगे तो भी इत्र धीरे धीरे गिरेगा और इसकी खुशबु लाजवाब होती है।

ये व्यक्ति वृन्दावन पहुंचा। उस समय संत जी एक भाव में डूबे हुए थे। संत देखते है की राधा-कृष्ण दोनों होली खेल रहे हैं। जब उस व्यक्ति ने देखा की ये तो ध्यान में हैं तो उसने वह इत्र की शीशी उनके पास में रख दी और पास में बैठकर संत की समाधी खुलने का इंतजार करने लगा।
तभी संत देखते हैं की राधा जी और कृष्ण जी एक दूसरे पर रंग डाल रहे हैं। पहले कृष्ण जी ने रंग से भरी पिचकारी राधा जी के ऊपर मारी। और राधा रानी सर से लेकर पैर तक रंग में रंग गई। अब जब राधा जी रंग डालने लगी तो उनकी कमोरी(छोटा घड़ा) खाली थी।

संत को लगा की राधा जी तो रंग डाल ही नहीं पा रही है क्योंकि उनका रंग खत्म हो गया है। तभी संत ने तुरंत वह इत्र की शीशी खोली और राधा जी की कमोरी में डाल दी और तुरंत राधा जी ने कृष्ण जी पर रंग डाल दिया। हरिदास जी ने सांसारिक दृष्टि में वो इत्र भले ही रेत में  डाला। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि में वो राधा रानी की कमोरी में डाला।



उस भक्त ने देखा की इन संत ने सारा इत्र जमीं पर गिरा दिया। उसने सोचा में इतने दूर से इतना महंगा इत्र लेकर आया था पर इन्होंने तो इसे बिना देखे ही सारा का सारा रेत में गिरा दिया। मैंने तो इन संत के बारे में बहुत कुछ सुना था। लेकिन इन्होने मेरे इतने महंगे इत्र को मिट्टी में मिला दिया।

वह कुछ भी ना बोल सका। थोड़ी देर बाद संत ने आंखे खोली उस व्यक्ति ने संत को अनमने मन से प्रणाम किया।

अब वो व्यक्ति जाने लगा। तभी संत ने कहा,”आप अंदर जाकर बिहारी जी के दर्शन कर आएं।”

उस व्यक्ति ने सोचा की अब दर्शन करे या ना करें क्या लाभ। इन संत के बारे में जितना सुना था सब उसका उल्टा ही पाया है। फिर भी चलो चलते समय दर्शन कर लेता हूँ। क्या पता अब कभी आना हो या ना हो।

ऐसा सोचकर वह व्यक्ति बांके बिहारी के मंदिर में अंदर गया तो क्या देखता है की सारे मंदिर में वही इत्र महक रहा है और जब उसने बिहारी जी को देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ बिहारी जी सिर से लेकर पैर तक इत्र में नहाए हुए थे।

उसकी आंखों से प्रेम के आंसू बहने लगे और वह सारी लीला समझ गया तुरंत बाहर आकर संत के चरणों मे गिर पड़ा और उन्हें बार-बार प्रणाम करने लगा। और कहता है संत जी मुझे माफ़ कर दीजिये। मैंने आप पर अविश्वास दिखाया। संत ने उसे माफ़ कर दिया और कहा की भैया तुम भगवान को भी सांसारिक दृष्टि से देखते हो लेकिन मैं संसार को भी आध्यात्मिक दृष्टि से देखता हूँ

बोलिए बांके बिहारी लाल की जय!
Ajay Singh
9675300547
please Share**

Tuesday, 23 May 2017

Happy Birthday

                 जन्मदिन मुबारक हो

आज हमारी बिटिया " Rijul Singh"का जन्मदिन है आप सभी उसे अपना करुणा भरा आशीर्वाद  प्रदान करे ,व सनेह भरे दिल से हमेशा हर्षित तथा प्रफुल्लित रहने की कामना प्रदान करें!
                                        (धन्यवाद)

Ajay Singh
        &
Sarita Mahla

(9675300547)


ईशवर तो है ईसके बजुद को समझो

                  जीवन का दर्पण

मान लो, कोई मछुआरा जाल फेंकता है। पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण, चारो दिशाओं में वह जाल फेंकता है। बड़ी-छोटी, चतुर सभी मछलियाँ उसके जाल में फँस जाती हैं किन्तु एक मछली जो उसके पैरों के इर्द-गिर्द घूमती है वह कभी उसकी जाल में नहीं फँसती क्योंकि मछुआरा वहाँ जाल डाल ही नहीं सकता। ऐसे ही चतुर आदमी भी माया में फँसे हैं, बुद्धू आदमी भी फँसे हैं, भोगी भी फँसे हैं और त्यागी भी फँसे हैं, विद्वान भी फँसे हैं, यक्ष भी फँसे हैं और किन्नर भी फँसे हैं, गंधर्व भी फँसे हैं और देव भी फँसे हैं, आकाशचारी भी फँसे हैं और जलचर भी फँसे हैं, भूतलवाले भी फँसे हैं और पातालवाले भी फँसे हैं... सब माया के इन तीन गुणों सत्त्व, रज और तम में से किसी-न-किसी गुण में फँसे हैं। सभी जाल में हैं लेकिन जो पूरी तरह से ईश्वर की शरण में चले गये हैं वे धनभागी इस मायाजाल से बच गये हैं।

'ईश्वर की शरण क्या है? ईश्वर क्या है? इस बात का पता चल जाये और शरण में रहने वाला कौन है' इस बात का पता चल जाये तभी ईश्वर की शरण में जाया जा सकता है। कोई कहता हैः
"मैं भगवान की शरण हूँ।"
"अच्छा ! तो तू कौन है?"
"मै हूँ मोहनभाई।"
हो गयी फिर तो भगवान की शरण....
अरे ! पहले तुम अपने को जानो कि तुम कौन हो और भगवान क्या है? तभी तो तुम्हें भगवान की शरण का पता चलेगा। भगवान की शरण मान लेना अलग बात है और जान लेना अलग बात। शुरुआत में मानी हुई शरण भी ईमानदारी की है तो उस शरण को जानने का भी सौभाग्य मिल जायेगा लेकिन मानी हुई शरण भी हम ईमानदारी से नहीं निभाते। हम कहते तो हैं कि "मैं भगवान की शरण हूँ" लेकिन अन्दर से ऐंठते रहते हैं कि 'देखो, मैंने कहा वही हुआ न!' इस प्रकार व्यक्ति अपनी परिच्छिन्नता बनाये रखता है और ऐसी बात नहीं कि केवल अच्छी मान्यताएँ ही बना कर रखता है। अहंकार तो सब प्रकार का होता है। अच्छे का भी अहंकार होता और बुरे का भी अहंकार होता है। कर्त्तापन अच्छे कर्म का भी होता है और बुरे कर्म करने का भी होता है और कर्म नहीं करने का भी होता है।

'मैं तो कुछ नहीं करता...' यह कहकर भी न करने वाला तो मौजूद ही रहता है। सब भगवान करते हैं.... मैं कुछ नहीं करता... भीतर से समझता है कि मैं नम्र हूँ। .... तो मैं तो बना ही रहा। अरे ! अपराधी को भी अहंकार होता है।

मैंने बतायी थी एक बातः
जेल में कोई नया कैदी आया। सिपाही ने उसे एक कोठरी खोलकर अन्दर कर दिया। नया कैदी जैसे ही उस कोठरी में प्रविष्ट हुआ तो पुराना कैदी बोलाः
"कितने महीने की सजा है?"
"छः महीने की।"
"तू तो नवसिखिया है। दरवाजे पर ही अपना बिस्तर लगा। हम बीस साल की सजा वाले बैठे हैं। अच्छा... यह बता, डाका कितने का डाला?"
"पाँच हजार का।"
"इतना तो हमारे बच्चे भी डाल लेते हैं। हमने तो दो लाख का डाका डाला है। मैं तो यहाँ तीसरी बार आया हूँ। मैंने तो इसे अपना घर ही बना लिया है।"
इस प्रकार बुरे कर्म का भी अहंकार मौजूद रहता है। माया सभी को अपने जाल में फँसा लेती है।

चिलम पीकर कोई बैठा रहे और कहेः 'तीन घण्टे हम भजन में रहे....' यह तामसिक माया है। दान पुण्य करके कोई कहेः 'हमने लाख रुपयों का दान करके लोगों का भला किया.. यह राजसी माया है। कोई कहेः 'इष्टदेव ही सब कुछ करवाते हैं... इष्टदेव के लिए सब कुछ हुआ है... मैं तो कुछ नहीं हूँ... अपने से वह जितना करवाये उतना अच्छा....' यह सात्त्विक माया है। माया तामसिक हो, राजसिक हो या सात्त्विक, है तो माया ही। इसीलिए भगवान कहते हैं-

यदिदं मनसा वाचा चक्षुर्भ्यां श्रवणादिभिः।
नश्वरं गृह्यमाणं च विद्धि माया मनोमयम्।।

'मन से, वाणी से, आँखों से, नेत्रों आदि से जो भी ग्रहण होता है वह सब नश्वर है, मनोमय, मायामात्र है ऐसा जानो।

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Ajay Singh
9675300547

सावधान दोस्तों,आप भी अकेले हो सकते हो

       
अगला शिकार कहीं आप तो नहीं

*जरा  सोचिये  कि  शाम  के  7:25  बजे  है  और  आप  घर  जा  रहे  है  वो  भी  एकदम  अकेले ।*
 
  *ऐसे  में  अचानक  से  आपके  सीने  में  तेज  दर्द  होता  है  जो  आपके  हाथों  से  होता  हुआ  आपके  जबड़ो  तक  पहुँच  जाता  है ।*

    *आप  अपने  घर  से  सबसे  नजदीक  अस्पताल  से  5 मील  दूर  हैं  और  दुर्भाग्यवश  आपको  ये  नहीं  समझ  मे  आ  रहा  कि  आप  वहां  तक  पहुँच  पाएंगे  कि  नहीं ।*

    *आप  सी पी आर  (CPR  : Cardio Pulmonary Resuscitation) में  प्रशिक्षित  हैं  मगर  वहां  भी  आपको  ये  नहीं  सिखाया  गया कि  इसको  खुद  पर  प्रयोग  कैसे  करें ।*

    *ऐसे  में  दिल  के  दौरे  से  बचने  के  लिए  ये  उपाय  आजमाए :-*

    *चूँकि  ज्यादातर  लोग  दिल  के  दौरे  के  वक्त  अकेले  होते  हैं  l*

   *बिना  किसी  की  मदद  के  उन्हें  सांस  लेने  में  तकलीफ  होती  है ।*

    *वे  बेहोश  होने  लगते  हैं  और  उनके  पास very hardly सिर्फ  10  सेकण्ड्स  होते  है ।*

    *ऐसे  हालत  में  पीड़ित  जोर  जोर  से  खांस  कर  खुद  को  सामान्य  रख  सकता  है ।*

    *एक  जोर  की   खांसी  लेनी  चाहिए  हर  खांसी  से  पहले  और  खांसी  इतनी  तेज  हो  कि  छाती  से  थूक  निकले ।*

    *जब  तक  मदद  न  आये  ये  प्रक्रिया  दो  सेकंड  से  दोहराई  जाए  ताकि  धड्कन  सामान्य  हो  जाए ।*

    *जोर  की  साँसे  फेफड़ो  में  ऑक्सीजन  पैदा  करती  हैं  और  जोर  की  खांसी  की  वजह  से  दिल  सिकुड़ता  है  जिससे  रक्त संचालन  नियमित  रूप  से  चलता  है ।*

    *जहाँ  तक  हो  सके  इस  सन्देश  को  हर  एक  तक  पहुंचाए ।*

    *एक  ह्रदय  के  डॉक्टर  ने  तो  यहाँ  तक  कहा  कि  अगर  हर  व्यक्ति  यह  सन्देश  10  लोगो  को  भेजे  तो  एक  जान  बचायी  जा  सकती  है ।*

 
 *आप  सबसे  निवेदन  है  कि  चुटकले  भेजने  के  बजाय  यह  सन्देश  सबको  भेजे  ताकि  लोगों  की  जान  बच  सके  ।*

    *अगर  आपको  यह  सन्देश  बार  बार  मिले  तो  परेशान  होने  के  बजाय  आपको  खुश  होना  चाहिए  कि  आपको  यह  बताने  वाले  बहुत  जन  है  कि  दिल  के  दौरे  से  कैसे  बचा  जाये ।*

    *धन्यवाद !!*

*कृपया अपने सभी मित्रों से शेयर करना न भूलें।।*
Ajay Singh
9675300547

Sunday, 21 May 2017

यह जीवन है

👌🏻
     यही जीवन है

"धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं!
"जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है!

"कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है!
"और कभी यादों के सहारे जिंदगी कट जाती है!

"किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते! 
"फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते!

"जी लो इन पलों को हंस के दोस्तो
"फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं  आते!!🌷🌷              
    🙏🏻
  Ajay Singh
 9675300547
सिर्फ़ AC कार का उपयोग करनें वाले मित्र ही पढें
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*कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें और सभी से इस जानकारी को साझा करें।*

यह सन्देश सभी व्यक्ति, जो 'ए सी कार' का उपयोग करते हैं के लिये अति आवश्यक और महत्वपूर्ण है।क्योंकि, यह उनके स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध रखता है।

*"कार की उपयोग पुस्तिका"* कार  स्टार्ट करने और 'ए सी' चलाने से पहले समस्त शीशों को खोलने का निर्देश देती है जिससे गर्म हवा बाहर निकल जाये। क्यों ?

इसमें कोई भी आश्चर्य की बात नहीं है कि आज कैंसर के कारण पहले की अपेक्षा बहुत मौतें हो रही हैं। अत्यन्त आश्चर्य होता है कि कैंसर की उत्पत्ति किन पदार्थों से हो रही है। एक ऐसा उदाहरण है जो कैंसर की उत्पत्ति के कारणों को बहुत हद तक स्पष्ट करता है।

प्रतिदिन अधिकांश व्यक्ति सर्वप्रथम  'सुबह के समय' और 'अंतिम बार रात' को अपनी कारों का उपयोग करते हैं।

कृपया कार में बैठते ही 'ए सी' को न चलायें। कार में प्रवेश करते ही, *"सबसे पहले शीशों को खोलें"* और कुछ मिनटों के बाद ही 'ए सी' चालू करें।

इसका "कारण", अनुसंधानों से यह पता चला है कि कार का डैश बोर्ड, सीट,'ए सी' की डक्ट्स, वस्तुतः गाड़ी की प्रत्येक पलास्टिक की बनी वस्तुएँ 'विषैली गैस' *"बैन्जीन"* छोड़ती हैं जो कि 'कैंसर' उत्पत्ति का एक बहुत बड़ा तत्व है।

जब भी आप कार खोलें तो कार को स्टार्ट करने से पहले कुछ क्षण के लिये गर्म पलास्टिक की गंध को स्वयम् अनुभव करेंगे।

बैन्जीन, कैंसर कारक होने के साथ - साथ हड्डियों पर विषैला प्रभाव, एनीमिया और स्वास्थय रक्षक सफ़ेद रक्त कणों (यह रोग कारक विषाणुओं को नष्ट करते हैं) में कमी लाती है।अधिक समय के सम्पर्क से ल्युकेमिया और कुछ अन्य प्रकार के कैंसर बढ़ने का पूर्ण ख़तरा है। इसके कारण गर्भवती महिलाओं में गर्भपात हो सकता है।

बन्द स्थान में बैन्ज़ीन का "स्वीकृत" स्तर 50 मिलीग्राम प्रति वर्ग फ़ीट है।

एक कार जोकि एक बन्द जगह पार्क की गई हो और जिसके शीशे बन्द हों में 400-800 मिलीग्राम बैन्ज़ीन का स्तर होगा - *स्वीकृत मात्रा से 8 गुणा अधिक*।

यदि इसको बाहर खुले में पार्क किया गया हो जहाँ पर तापमान 30 अंश सेन्टीग्रेड से अधिक हो तो, बैन्ज़ीन का स्तर 2000-4000 मिलीग्राम होगा, अर्थात *स्वीकृत स्तर से कम से कम 40 गुणा अधिक*।

जो व्यक्ति शीशे बन्द हुई कार में बैठ जाते हैं वस्तुतः वह अत्याधिक मात्रा में विद्यमान विषैली बैन्ज़ीन को साँस के द्वारा अपने शरीर में लेंगे।

बैन्ज़ीन एक विषैला तत्व है जोकि गुर्दे और लीवर पर दुष्प्रभाव डालता है।सबसे ख़तरनाक बात है कि हमारा शरीर इस विषैले तत्व को बाहर करने में नितान्त असमर्थ है।

*अतः कार में बैठने से पहले कुछ समय के लिये इसके दरवाज़े व खिड़कियाँ खोल दें* जिससे  बैठने से पहले ही अन्दर की हवा बाहर निकल जाये (अर्थात हानिकारक विषैली गैसीय तत्व बाहर निकल जाये)

*शिक्षा:* जब कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण  तथ्य जिससे आपको लाभ हो बताता है, तो आपकी भी यह नैतिक फ़र्ज़ है कि आप भी इस अमूल्य जानकारी औरों को भी बतायें।

Ajay Singh
9675300547

Saturday, 20 May 2017

सत्य व असत्य की परख

               सत्य के रूप
😀😀😀😀😀


"अगर आप रास्ते पे चल रहे है और आपको वहां पड़ी हुई दो पत्थर की मुर्तिया मिले

1) भगवान राम की

और

2)रावण की

और आपको एक मूर्ति उठाने का कहा जाए तो अवश्य आप राम की मूर्ति उठा कर घर लेके जाओगे।
क्यों की राम सत्य , निष्ठा,
सकारात्मकता के प्रतिक हे और रावण नकारात्मकता का प्रतिक हे।

फिरसे आप रास्ते पे चल रहे हो और दो मुर्तिया मिले 
राम और रावण की
पर अगर "राम की मूर्ति पत्थर" की और "रावण की सोने "की हो 
और एक मूर्ति उठाने को कहा जाए तो आप राम की मूर्ति छोड़ कर  रावण की सोने की मूर्तिही उठाओगे
.
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मतलब
हम सत्य और असत्य, 
सकारात्मक और नकारात्मक 
अपनी सुविधा और लाभ के अनुसार तय करते हे।

99% प्रतिशत लोग भगवान को सिर्फ लाभ और डर की वजह से पूजते है.

              

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.और 
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,
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एक ही डर
               "लोग क्या कहेंगे".

लोग क्या सोचेंगे  ? ? ? 

25 साल की उम्र तक हमें परवाह नहीँ होती कि  "लोग क्या सोचेंगे  ? ? " 

50 साल की उम्र तक इसी डर में जीते हैं  कि  " लोग क्या सोचेंगे  ! ! " 

50 साल के बाद पता चलता है कि      " हमारे बारे में कोई सोच ही नहीँ रहा था ! ! ! "

Life is beautiful, enjoy it everyday.

*सबसे बडा रोग...
*क्या कहेंगे लोग...
Ajay Singh
9675300547

मां की ममता के आंसू

***📞 हैलो माँ !!

मैं रवि बोल रहा हूँ !!

कैसी हो 👵माँ....??

मैं.... मैं…. ठीक हूँ बेटे ये बताओ तुम और 👸बहू दोनों कैसे हो.....??

हम दोनों ठीक है !!

माँ आपकी बहुत याद आती है !! अच्छा सुनो माँ मैं अगले महीने इंडिया आ रहा हूँ तुम्हें लेने !!

क्या...??  हाँ माँ अब हम सब साथ ही रहेंगे....!!

नीतू कह रही थी 👵माज़ी को ✈ अमेरिका ले आओ वहाँ अकेली बहुत परेशान हो रही होंगी.!!

हैलो सुनरही हो 👵माँ....??

हाँ हाँ 👮बेटे "बूढ़ी आंखो से खुशी की अश्रुधारा बह निकली" बेटे और बहू का प्यार नस नस में दौड़ने लगा !!

जीवन के सत्तर साल गुजार चुकी सावित्री ने जल्दी से अपने पल्लू से आँसू पोंछे और बेटे से बात करने लगी !!

पूरे दो साल बाद बेटा घर आ रहा था !!

बूढ़ी सावित्री ने मोहल्ले भरमे दौड़ दौड़ कर ये खबर सबको सुना दी !!

सभी खुश थे की चलो बुढ़ापा चैनसे बेटे और बहू के साथ गुजर जाएगा !!

रवि अकेला आया था उसने कहा की माँ हमे जल्दी ही वापिस जाना है इसलिए जो भी 💴💰💵💷 रुपया पैसा किसी से लेना है वो लेकर रखलों और तब तक मे किसी प्रोपेर्टी डीलर से मकान की बात करता हूँ !!

मकान...?? माँ ने पूछा !!

हाँ माँ अब ये मकान बेचना पड़ेगा वरना कौन इसकी देखभाल करेगा !!

हम सबतो अब अमेरिका मे ही रहेंगे बूढ़ी आंखो ने मकान के कोने कोने को ऐसे निहारा जैसे किसी अबोध बच्चे को सहला रही हो !!

आनन फानन और औने-पौने दाम मे रवि ने 💒मकान बेच दिया !!

सावित्री देवी ने वो जरूरी सामान समेटा जिस से उनको बहुत ज्यादा लगाव था !!

👮रवि 🚕टैक्सी मँगवा चुका था !!

एयरपोर्ट पहुँचकर रवि ने कहा,👵”माँ तुम यहाँ बैठो मे अंदर जाकर सामान की जांच और बोर्डिंग और विजा का काम निपटा लेता हूँ" !!

ठीक है बेटे, "सावित्री देवी वही पास की बेंच पर बैठ गई" !!

काफी समय बीत चुका था !!

बाहर बैठी👵 सावित्री देवी बार बार उस दरवाजे की तरफ देख रही थी जिसमे रवि गया था लेकिन अभी तक बाहर नहीं आया !!

शायद अंदर बहुत भीड़ होगी सोचकर👵 बूढ़ी आंखे फिर से टकट की लगाए देखने लगती !!

अंधेरा हो चुका था !!

एयरपोर्ट के बाहरगहमागहमी कम हो चुकी थी।

माजी किस से मिलना है ??

एक💂 कर्मचारी नेवृद्धा से
पूछा....??

"मेरा बेटा अंदर गया था 📧 टिकिट लेने वो मुझे  ✈ अमेरिका लेकर जा रहा है",सावित्री देबी ने घबराकर कहा !!

लेकिन अंदर तो कोई पैसेंजर नहीं है अमेरिका जाने वाली ✈ फ्लाइट तो ☀ दोपहर मे ही चली गई !!

क्या नाम था आपके बेटे का....??

कर्मचारी ने सवाल किया.....??

र......रवि सावित्री के चेहरे पे चिंता की लकीरें उभर आई !!

कर्मचारी अंदर गया और कुछ देर बाद बाहर आकर बोला माजी आपका बेटा 👮रवि तो अमेरिका जाने वाली ✈  फ्लाइट से कब का जा चुका !!

“क्या ??

👵वृद्धा कि आखो से💦 आँसुओं का सैलाब फुट पड़ा !!

बूढ़ी👵 माँ का रोम रोम कांप उठा !!

किसी तरह वापिस 💒घर पहुंची जो अब बिक चुका था !!

रात में 💒घर के बाहर चबूतरे पर ही ⛺ सो गई !!🌄

सुबह हुई तो👳दयालु मकान मालिक ने एक कमरा रहने को दे दिया !!

पति की 💴 पेंशन से 💒घर का किराया और खाने का काम चलने लगा !!

समय गुजरने लगा एक दिन मकान मालिक ने वृद्धा से पूछा ??

माजी क्यों नही आप अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ चली जाए अब आपकी उम्र भी बहुत हो गई अकेली कब तक रह पाएँगी !!

हाँ चली तो जाऊँ लेकिन कल को मेरा👮 बेटा आया तो..??

यहाँ फिर कौन उसका ख्याल रखेगा ....??

आखँ से आसू आने लग गए दोस्तों ....!!

माँ बाप का दिल कभी मत दुखाना 👬👫दोस्तों मेरी आपसे ये हाथ जोड़कर विनती है !!

ये पोस्ट को अपने  👬👫👭 दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे !!

धन्यवाद!

'माँ' तो 'माँ' होती है...!!
Ajay Singh
9675300547
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अपने कर्तव्य

अपने माता पिता का सम्मान करने के 35 तरीके

1. उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखो.
2. वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दो.
3. उनकी राय स्वीकारें.
4. उनकी बातचीत में सम्मिलित हों.
5. उन्हें सम्मान के साथ देखें.
6. हमेशा उनकी प्रशंसा करें.
7. उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ.
8. उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें.
9. उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें.
10. उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें.
11. वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो.
12. अतीत की दर्दनाक यादों को मत दोहरायें.
13. उनकी उपस्थिति में कानाफ़ूसी न करें.
14. उनके साथ तमीज़ से बैठें.
15. उनके विचारों को न तो घटिया बताये न ही उनकी आलोचना करें.
16. उनकी बात काटने से बचें.
17. उनकी उम्र का सम्मान करें.
18. उनके आसपास उनके पोते/पोतियों को अनुशासित करने अथवा मारने से बचें.
19. उनकी सलाह और निर्देश स्वीकारें.
20. उनका नेतृत्व स्वीकार करें.
21. उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करें.
22. उनके आगे अथवा सामने से न चलें.
23. उनसे पहले खाने से बचें.
24. उन्हें घूरें नहीं.
25. उन्हें तब भी गौरवान्वित प्रतीत करायें जब कि वे अपने को इसके लायक न समझें.
26. उनके सामने अपने पैर करके या उनकी ओर अपनी पीठ कर के बैठने से बचें.
27. न तो उनकी बुराई करें और न ही किसी अन्य द्वारा की गई उनकी बुराई का वर्णन करें.
28. उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करें.
29. उनकी उपस्थिति में ऊबने या अपनी थकान का प्रदर्शन न करें.
30. उनकी गलतियों अथवा अनभिज्ञता पर हँसने से बचें.
31. कहने से पहले उनके काम करें.
32. नियमित रूप से उनके पास जायें.
33. उनके साथ वार्तालाप में अपने शब्दों को ध्यान से चुनें.
34. उन्हें उसी सम्बोधन से सम्मानित करें जो वे पसन्द करते हैं.
35. अपने किसी भी विषय की अपेक्षा उन्हें प्राथमिकता दें...!!!

*माता – पिता इस दुनिया में सबसे बड़ा खज़ाना हैं..!!* यह मेसेज हर घर तक पहुंचने मे मदद करे तो बड़ी कृपा होगी मानव जाति का उद्धार संभव हैं, यदि ऊपर लिखी बातों को जीवन में उतार लिया तो। *सबसे पहले भगवान, गुरु माता पिता ही हैं,* हर धर्म में इस बात का उल्लेख हे...!!!

सभी के माता पिता को सत् सत् नमन...!!!🙏🙏
           Ajay Singh(9675300547)

Sunday, 14 May 2017

फूल से प्रेम



"जब आप ऐक फूल को पंसद करते है तो आप उसे तोड़ लेते है!"

"पर जब आप किसी फूल से प्यार करते हैं, तो रोजाना उसे पानी देते हो ओर देखभाल करते हो!"*

ठीक वैसै ही जीवन की दो अवस्थाएं है! एक अध्यातम तथा दूसरी आत्मचिंतन!
इसी तरह हमारा जीवन एक दौड़, दौड़ रहा है जिसमें मन संसारी विषयो में भटक रहा है!ओर रूह आत्मचिंतन करके सांत्वना देती रहती!



Friday, 12 May 2017

क्या पता वो आज आ जाए

जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान को एक ही डर सताता रहता  कि एक दिन मरना भी है! और वह क्षण ना जाने कब आ जाए! कितना अजीब सा जीवन है मनुष्य का! सब कुछ जानते हुए भी अनदेखा कर देता है!इस धरा पर कई प्रजातियां मनुष्य की भांति अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं!मनुष्य को मानव चोले के रूप में यह जन्म अनमोल रतन के सम्मान मिला है, फिर भी अनजाने में वो इसका परित्याग कर रहा है !मनुष्य को चाहिए समय रहते अच्छे कर्म करे, सबकी सहायता करें, हर किसी के काम आएं, सदैव सच बोले, तथा समय समय पर यज्ञ, दान आदि करें !व अपने परमार्थ के रास्ते को सफल बनाए! क्योंकि कोई नहीं जानता वह पल कब आ जाएं और हम इस दुनिया को अलविदा कह कर के पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे!इसलिए समय रहते ही परम पिता परमात्मा को याद कर लो तथा कुछ रिश्ता उससे भी जोड़ लो यकीन मानो आपका जीवन सफल हो जाएगा !वरना जैसे आए थे वैसे ही चल पड़े कोई औचित्य ही नहीं रहा मानव होने का!आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादा नहीं तो दो पल परमेश्वर के लिए निकालो यारो !वरना जीवन तो पल-पल बीत रहा है दिन रात काल बनकर तुम्हारे जीवन को दीमक की तरह खाए जा रहे हैं
(अजय सिंह)

Thursday, 4 May 2017

जीवन के अंत में

कहते है कि मन के कहने पर चलने वाले अपना जन्म गवा कर चले जाते हैं !इंसान को यह जो जन्म मिला है ये हीरे जैसा है!परंतु इंसान इसे कौड़ियों के भाव गवा कर जा रहा है यह आवाज इंसान को ही दी जाती है तथा धरती पर रेंगने वाले अनेकों कीड़े मकोड़े हैं ,पशु पक्षी हैं उन्हें यह आवाज नहीं दी जा रही है इंसान को ही कहा जा रहा है कि तू भक्ति में अपने मन को लगा ले दुनिया की प्रशंसा किसी काम आने वाले नहीं हैं !कहते हैं कि अगर अपना कोई प्यारा मिले तो उससे ज़रूर प्रभु की बातें करो !आज संसार की हालत ऐसे ही बनी हुई है कि किसी को भी अच्छी बात अच्छी नहीं लगती पर संतों का यह काम होता है कि वह अपनी आवाज देते हैं ,चले जाते हैं जो उसे मान लेता है वह फायदा उठा लेता है! दिन और रात हमारे जीवन को खत्म करते जा रहे हैं हर रोज एक नई सुबह होती है पर उस परमात्मा के विषय में कोई विरला ही चिंतन करता है अभी समय है मालिक से रिश्ता बना लीजिए वरना बाद में बहुत पछतावा होगा जब अंत घड़ी करीब होंगी !ज्यादा ना सही हर दिन ,पल दो पल उसे भी गपछप लगा लिया करो जीवन संवर जायेगा व हमारा दुनिया में आने का मकसद पूरा हो जाएगा!
(अजय सिंह)

नंदपुर भटोली हिमाचल प्रदेश

                                 नंदपुर भटोली
हिमाचल प्रदेश राज्य के जिला कांगड़ा में पोंग बांध के किनारे से सटा हुआ एक सुंदर सा गांवअपनी मनमोहक सुंदरता के लिए जाना जाता है जहां एक और कल -कल करता हुआ महाराणा प्रताप सागर झील का पानी उसकी सुंदरता पर चार चांद लगा देता है तो दूसरी ओर सटा हुआ हिमालय पर्वत की धौलाधार बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियों का नजारा जो हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है! इस क्षेत्र के अधीन दो मुख्य नदियां हिमालय से निकलती हैं एक बनेर बाणगंगा तथा दूसरी व्यास नदी!वैसे तो पूरा हिमाचल अपनी ईमानदारी तथा भोलेपन से जाना जाता है परंतु इस गांव में आने पर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है!पंजाब राज्य के अंतिम रेलवे स्टेशन पठानकोट से इस गांव की दूरी 68 किलोमीटर है!कांगड़ा में कांगड़ा घाटी रेल चलती है जोकि पर्यटकों के लिए बहुत ही मन भावुक होती है छक- छक करती हुई ये रेल गाड़ी पहाड़ों, सुरंगों से गुजरती हुई नदियों के किनारे चलती हुई हरे-भरे खेतों के बीच में घाटियों से होते हुए मानो प्रकृति जैसे कूट-कूट के बस रही हो सफर के दौरान बहुत ही मन को रोचक कर देने वाली तस्वीरें प्रकृति से देखने को मिलती हैं और एक रोचक भरा सफर यादगार बन के रह जाता है!इस गांव का वार्षिक मेला बाबा जति दास जी को समर्पित है तथा पूरे प्रदेश में मेला नंदपुर का मेले जाणा जरूर टाइटल सॉन्ग से जाना जाता है!सर्दियों के समय जब विदेशी पक्षियों का रुझान इस झील में होता है तो मानव सारा गांव सारा तटीय क्षेत्र पंछियों की आवाजों से चहल पहल से मंत्रमुग्ध हो जाता है!कभी आप भी पधारो मेरे गावं!
(विशेष आभार अजय सिंह)

Wednesday, 3 May 2017

मां तो मां होती है

ASR Music company की बेहतरीन एल्बम -मां का बहुत ही खूबसूरत गाना जिसे गाया व लिखा है गायक अजय सिंह ने !इस गाने का संगीत दिया है डायरेक्टर श्री परमजीत पम्मी जी ने!जब तक मां हमारे साथ होती है तब तक हमें उसके एहसास का वजूद पता नहीं होता है पर जब मां हमें छोड़कर दुनिया से हमेशा के लिए चली जाती है तब उस की बहुत कमी महसूस होती है क्योंकि मां से बढ़कर संसार में कोई भी सच्चा रिश्ता नहीं है !कुछ ऐसा ही इस गाने में है तो जरुर सुने एल्बम मां का एक खूबसूरत गाना जिसे पूरे प्रदेश में बहुत ज्यादा पसंद किया गया!इस गाने को आपसमय गायक अजय सिंह से भी WhatsApp के माध्यम से ले सकते हैं तथा पहाड़ी gaana.com वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं (9675300547)

देव भूमि हिमाचल प्रदेश

देवभूमि हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में बने पोंग बांध से बेघर हुए हजारों लोगों की दर्द भरी दास्तान पर बनाया ऑडियो MP3 गाना , जो हे विधाता एल्बम से है जिसका संगीत प्रदेश के जाने-माने डायरेक्टर परमजीत पम्मी ने दिया है तथा अपनी मधुर आवाज से जिसे गाया है अजय सिंह जी ने जिसे पूरे प्रदेश भर मेंबहुत ज्यादा डाउनलोड करके सुना गया इसका जल्द वीडियो वर्जन आप सबके समक्ष आने वाला है लगभग स्टूडियो में सारा काम संपूर्ण हो चुका हैकिसी के पास भी अगर पोंग बांध से जुड़े हुए किसी भी विषय कि समगरी अगर है तो वो  ऐ ऐस आर म्यूजिक कंपनी से संपर्क करें!अपनों से बिछड़ने का गम क्या होता है यह एक पोंग बांध विस्थापित व्यक्ति ही बता सकता है तथा समझ सकता है

प्रभु की महिमा

* हरिनाम जप किस प्रकार करें * जप करने के समय स्मरण रखने वाली कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बातें : पवित्र हरिनाम को भी अर्च-विग्रह और पवित्र धाम ...