Thursday, 4 May 2017

जीवन के अंत में

कहते है कि मन के कहने पर चलने वाले अपना जन्म गवा कर चले जाते हैं !इंसान को यह जो जन्म मिला है ये हीरे जैसा है!परंतु इंसान इसे कौड़ियों के भाव गवा कर जा रहा है यह आवाज इंसान को ही दी जाती है तथा धरती पर रेंगने वाले अनेकों कीड़े मकोड़े हैं ,पशु पक्षी हैं उन्हें यह आवाज नहीं दी जा रही है इंसान को ही कहा जा रहा है कि तू भक्ति में अपने मन को लगा ले दुनिया की प्रशंसा किसी काम आने वाले नहीं हैं !कहते हैं कि अगर अपना कोई प्यारा मिले तो उससे ज़रूर प्रभु की बातें करो !आज संसार की हालत ऐसे ही बनी हुई है कि किसी को भी अच्छी बात अच्छी नहीं लगती पर संतों का यह काम होता है कि वह अपनी आवाज देते हैं ,चले जाते हैं जो उसे मान लेता है वह फायदा उठा लेता है! दिन और रात हमारे जीवन को खत्म करते जा रहे हैं हर रोज एक नई सुबह होती है पर उस परमात्मा के विषय में कोई विरला ही चिंतन करता है अभी समय है मालिक से रिश्ता बना लीजिए वरना बाद में बहुत पछतावा होगा जब अंत घड़ी करीब होंगी !ज्यादा ना सही हर दिन ,पल दो पल उसे भी गपछप लगा लिया करो जीवन संवर जायेगा व हमारा दुनिया में आने का मकसद पूरा हो जाएगा!
(अजय सिंह)

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