"जब आप ऐक फूल को पंसद करते है तो आप उसे तोड़ लेते है!"
"पर जब आप किसी फूल से प्यार करते हैं, तो रोजाना उसे पानी देते हो ओर देखभाल करते हो!"*
ठीक वैसै ही जीवन की दो अवस्थाएं है! एक अध्यातम तथा दूसरी आत्मचिंतन!
इसी तरह हमारा जीवन एक दौड़, दौड़ रहा है जिसमें मन संसारी विषयो में भटक रहा है!ओर रूह आत्मचिंतन करके सांत्वना देती रहती!
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