Wednesday, 10 June 2020

जिसने ईश्वर को नहीं देखा

*"होत वही जो राम रची राखा"*

एक  बार  स्वर्ग  से  घोषणा हुई  कि  *भगवान  सेब  बॉटने आ  रहे  है*  सभी  लोग भगवान  के  प्रसाद  के  लिए तैयार  हो  कर  लाइन लगा कर  खड़े  हो  गए।

*एक  छोटी  बच्ची  बहुत उत्सुक  थी*  क्योंकि  वह पहली  बार  भगवान  को देखने  जा  रही  थी।

एक  बड़े  और  सुंदर  सेब  के साथ  साथ  भगवान  के दर्शन  की  कल्पना  से  ही खुश  थी।
अंत  में  प्रतीक्षा  समाप्त  हुई। बहुत  लंबी  कतार  में  जब उसका  नम्बर  आया  तो *भगवान  ने  उसे  एक  बड़ा और  लाल  सेब  दिया।*

लेकिन  जैसे  ही  उसने  सेब पकड़ कर  लाइन  से  बाहर निकली  उसका  *सेब  हाथ  से छूट कर  कीचड़  में  गिर गया*।  बच्ची  उदास  हो  गई।

अब  उसे  दुबारा  से  लाइन  में  लगना  पड़ेगा। दूसरी लाइन  पहली  से  भी  लंबी थी। लेकिन  कोई  और  रास्ता  नहीं  था।

सब  लोग  ईमानदारी  से अपनी  बारी  बारी  से  सेब लेकर  जा  रहे  थे।

अन्ततः  वह  *बच्ची  फिर  से लाइन  में  लगी*  और  अपनी बारी  की  प्रतीक्षा  करने लगी।

आधी  क़तार  को  सेब  मिलने  के  बाद  *सेब  ख़त्म होने  लगे*। अब  तो  बच्ची बहुत  उदास  हो  गई।

उसने सोचा  कि  उसकी  बारी  आने  तक  तो  सब  सेब  खत्म  हो  जाएंगे।  लेकिन  वह  ये  नहीं  जानती थी  कि  भगवान  के  भंडार कभी  ख़ाली  नही  होते।

जब  तक  उसकी  बारी  आई  तो  और  भी  नए  सेब  आ गए ।

भगवान  तो  अन्तर्यामी  होते हैं। बच्ची  के  मन  की  बात जान  गए।उन्होंने  इस  बार बच्ची  को  सेब  देकर  कहा कि  *पिछली  बार  वाला  सेब एक  तरफ  से  सड़  चुका  था*।

 तुम्हारे  लिए  सही  नहीं  था इसलिए  *मैने  ही  उसे  तुम्हारे हाथों  गिरवा  दिया  था*। दूसरी  तरफ  लंबी  कतार  में तुम्हें  इसलिए  लगाया क्योंकि  नए  सेब  अभी पेडों पर  थे।  उनके  आने  में  समय  बाकी  था। इसलिए तुम्हें  अधिक  प्रतीक्षा  करनी पड़ी।

*ये  सेब  अधिक  लाल, सुंदर और  तुम्हारे  लिए  उपयुक्त है।*

भगवान  की  बात  सुनकर बच्ची  संतुष्ट  हो  कर  गई ।

*इसी  प्रकार यदि आपके किसी काम  में  विलंब हो रहा  है  तो  उसे  भगवान  की इच्छा  मान कर  स्वीकार करें । जिस  प्रकार  हम  अपने बच्चों  को  उत्तम  से  उत्तम देने  का  प्रयास  करते  हैं।*
*उसी  प्रकार  भगवान भी अपने  बच्चों  को  वही  देंगे जो  उनके  लिए  उत्तम  होगा। ईमानदारी  से  अपनी  बारी की  प्रतीक्षा  करें*

*"ईश्वर" से शिकायत क्यों है ? ईश्वर ने पेट भरने की जिम्मेदारी ली है..पेटियां भरने की नहीं...*
*ह्रदय कैसे चल रहा है,यह डाक्टर बता देंगे, परन्तु ह्रदय में क्या चल रहा है,यह तो स्वयं को ही देखना है।*

इस कठिन समय मे संयम रखियेगा, ईमानदारी तथा दयालुता से जरूरतमंद के लिए भगवान बनकर उनकी मदद कीजियेगा, आपका भी परमपिता ईश्वर ही ध्यान रखेंगे।



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