जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान को एक ही डर सताता रहता कि एक दिन मरना भी है! और वह क्षण ना जाने कब आ जाए! कितना अजीब सा जीवन है मनुष्य का! सब कुछ जानते हुए भी अनदेखा कर देता है!इस धरा पर कई प्रजातियां मनुष्य की भांति अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं!मनुष्य को मानव चोले के रूप में यह जन्म अनमोल रतन के सम्मान मिला है, फिर भी अनजाने में वो इसका परित्याग कर रहा है !मनुष्य को चाहिए समय रहते अच्छे कर्म करे, सबकी सहायता करें, हर किसी के काम आएं, सदैव सच बोले, तथा समय समय पर यज्ञ, दान आदि करें !व अपने परमार्थ के रास्ते को सफल बनाए! क्योंकि कोई नहीं जानता वह पल कब आ जाएं और हम इस दुनिया को अलविदा कह कर के पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे!इसलिए समय रहते ही परम पिता परमात्मा को याद कर लो तथा कुछ रिश्ता उससे भी जोड़ लो यकीन मानो आपका जीवन सफल हो जाएगा !वरना जैसे आए थे वैसे ही चल पड़े कोई औचित्य ही नहीं रहा मानव होने का!आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादा नहीं तो दो पल परमेश्वर के लिए निकालो यारो !वरना जीवन तो पल-पल बीत रहा है दिन रात काल बनकर तुम्हारे जीवन को दीमक की तरह खाए जा रहे हैं
(अजय सिंह)
(अजय सिंह)
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