नंदपुर भटोली
हिमाचल प्रदेश राज्य के जिला कांगड़ा में पोंग बांध के किनारे से सटा हुआ एक सुंदर सा गांवअपनी मनमोहक सुंदरता के लिए जाना जाता है जहां एक और कल -कल करता हुआ महाराणा प्रताप सागर झील का पानी उसकी सुंदरता पर चार चांद लगा देता है तो दूसरी ओर सटा हुआ हिमालय पर्वत की धौलाधार बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियों का नजारा जो हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है! इस क्षेत्र के अधीन दो मुख्य नदियां हिमालय से निकलती हैं एक बनेर बाणगंगा तथा दूसरी व्यास नदी!वैसे तो पूरा हिमाचल अपनी ईमानदारी तथा भोलेपन से जाना जाता है परंतु इस गांव में आने पर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है!पंजाब राज्य के अंतिम रेलवे स्टेशन पठानकोट से इस गांव की दूरी 68 किलोमीटर है!कांगड़ा में कांगड़ा घाटी रेल चलती है जोकि पर्यटकों के लिए बहुत ही मन भावुक होती है छक- छक करती हुई ये रेल गाड़ी पहाड़ों, सुरंगों से गुजरती हुई नदियों के किनारे चलती हुई हरे-भरे खेतों के बीच में घाटियों से होते हुए मानो प्रकृति जैसे कूट-कूट के बस रही हो सफर के दौरान बहुत ही मन को रोचक कर देने वाली तस्वीरें प्रकृति से देखने को मिलती हैं और एक रोचक भरा सफर यादगार बन के रह जाता है!इस गांव का वार्षिक मेला बाबा जति दास जी को समर्पित है तथा पूरे प्रदेश में मेला नंदपुर का मेले जाणा जरूर टाइटल सॉन्ग से जाना जाता है!सर्दियों के समय जब विदेशी पक्षियों का रुझान इस झील में होता है तो मानव सारा गांव सारा तटीय क्षेत्र पंछियों की आवाजों से चहल पहल से मंत्रमुग्ध हो जाता है!कभी आप भी पधारो मेरे गावं!
(विशेष आभार अजय सिंह)
हिमाचल प्रदेश राज्य के जिला कांगड़ा में पोंग बांध के किनारे से सटा हुआ एक सुंदर सा गांवअपनी मनमोहक सुंदरता के लिए जाना जाता है जहां एक और कल -कल करता हुआ महाराणा प्रताप सागर झील का पानी उसकी सुंदरता पर चार चांद लगा देता है तो दूसरी ओर सटा हुआ हिमालय पर्वत की धौलाधार बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियों का नजारा जो हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है! इस क्षेत्र के अधीन दो मुख्य नदियां हिमालय से निकलती हैं एक बनेर बाणगंगा तथा दूसरी व्यास नदी!वैसे तो पूरा हिमाचल अपनी ईमानदारी तथा भोलेपन से जाना जाता है परंतु इस गांव में आने पर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है!पंजाब राज्य के अंतिम रेलवे स्टेशन पठानकोट से इस गांव की दूरी 68 किलोमीटर है!कांगड़ा में कांगड़ा घाटी रेल चलती है जोकि पर्यटकों के लिए बहुत ही मन भावुक होती है छक- छक करती हुई ये रेल गाड़ी पहाड़ों, सुरंगों से गुजरती हुई नदियों के किनारे चलती हुई हरे-भरे खेतों के बीच में घाटियों से होते हुए मानो प्रकृति जैसे कूट-कूट के बस रही हो सफर के दौरान बहुत ही मन को रोचक कर देने वाली तस्वीरें प्रकृति से देखने को मिलती हैं और एक रोचक भरा सफर यादगार बन के रह जाता है!इस गांव का वार्षिक मेला बाबा जति दास जी को समर्पित है तथा पूरे प्रदेश में मेला नंदपुर का मेले जाणा जरूर टाइटल सॉन्ग से जाना जाता है!सर्दियों के समय जब विदेशी पक्षियों का रुझान इस झील में होता है तो मानव सारा गांव सारा तटीय क्षेत्र पंछियों की आवाजों से चहल पहल से मंत्रमुग्ध हो जाता है!कभी आप भी पधारो मेरे गावं!
(विशेष आभार अजय सिंह)
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