***आज के ही दिन कांगड़ा में हुई थी भयानक तबाही
KangraUpdated
109 वर्ष पूर्व 4 अप्रैल 1905 को जिला कांगड़ा में आए भीषण भूकंप में 19277 लोग मौत की आगोश में समा गए थे। जबकि 5494 पालतू मवेशी भी मारे गए। यह भूकंप सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर आया। बताया जाता है कि इस त्रासदी में तहसील कांगड़ा के पठियार में 60, सकोह में 121, खनियारा में 671, उज्जैन 219, वीरता में 110, नरवाणा में 426 और योल में 97 पशु मारे गए। भूकंप की तीव्रता रिएक्टर पैमाने पर 7.8 मापी गई थी। कचहरी अड्डा निवासी धर्मपाल बताते हैं कि कांगड़ा का ऐेेेतिहासिक नगरकोट किला, बज्रेश्वरी मंदिर और मैकलोडगंज स्थित ऐतिहासिक चर्च बुरी तरह से ध्वस्त हो गए थे। उस समय धर्मशाला स्थित कैंट में यूरोपियन बैरक में रह रही सातवीं गोरखा राइफल के 272 जवानों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ब्रिटिश सेना के बड़े अधिकारी और सैनिक इस भूकंप मेें मारे गए। भूकंप के समय मंडी रियासत के सुपरिंटेंडेंट मिल्लर और मंडी रियासत के तत्कालीन राजा भवानी सेन पालमपुर में डाक बंगला में ठहरे थे। डाक बंगला के मलबे में दबने के बावजूद दोनों बाल बाल बच गए। भूकंप के कारण मंडी रियासत में भी भारी जानमाल का नुकसान हुआ तथा1500 लोग मारे गए। जिस वर्ष यह भूकंप आया था, उस समय जिला कांगड़ा के जिलाधीश एम आई बैरिंग थे। बैरिंग ने 10 मार्च 1905 को जिलाधीश का पदभार ग्रहण किया था। सहायता एवं बचाव कार्यों के संचालन के लिए नूरपुर को अस्थायी तौर पर कुछ समय के लिए जिला मुख्यालय बनाया गया। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लाहौर के कमिश्नर टांग हरुवे की अध्यक्षता में सहायता एवं बचाव पार्टी का गठन किया। इस पार्टी में पुलिस एवं सेना के जवानों और स्वयं सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया। इस भूकंप में कांगड़ा तहसील की ट्रेजरी का दफ्तर ही सुरक्षित रहा।
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109 वर्ष पूर्व 4 अप्रैल 1905 को जिला कांगड़ा में आए भीषण भूकंप में 19277 लोग मौत की आगोश में समा गए थे। जबकि 5494 पालतू मवेशी भी मारे गए। यह भूकंप सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर आया। बताया जाता है कि इस त्रासदी में तहसील कांगड़ा के पठियार में 60, सकोह में 121, खनियारा में 671, उज्जैन 219, वीरता में 110, नरवाणा में 426 और योल में 97 पशु मारे गए। भूकंप की तीव्रता रिएक्टर पैमाने पर 7.8 मापी गई थी। कचहरी अड्डा निवासी धर्मपाल बताते हैं कि कांगड़ा का ऐेेेतिहासिक नगरकोट किला, बज्रेश्वरी मंदिर और मैकलोडगंज स्थित ऐतिहासिक चर्च बुरी तरह से ध्वस्त हो गए थे। उस समय धर्मशाला स्थित कैंट में यूरोपियन बैरक में रह रही सातवीं गोरखा राइफल के 272 जवानों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ब्रिटिश सेना के बड़े अधिकारी और सैनिक इस भूकंप मेें मारे गए। भूकंप के समय मंडी रियासत के सुपरिंटेंडेंट मिल्लर और मंडी रियासत के तत्कालीन राजा भवानी सेन पालमपुर में डाक बंगला में ठहरे थे। डाक बंगला के मलबे में दबने के बावजूद दोनों बाल बाल बच गए। भूकंप के कारण मंडी रियासत में भी भारी जानमाल का नुकसान हुआ तथा1500 लोग मारे गए। जिस वर्ष यह भूकंप आया था, उस समय जिला कांगड़ा के जिलाधीश एम आई बैरिंग थे। बैरिंग ने 10 मार्च 1905 को जिलाधीश का पदभार ग्रहण किया था। सहायता एवं बचाव कार्यों के संचालन के लिए नूरपुर को अस्थायी तौर पर कुछ समय के लिए जिला मुख्यालय बनाया गया। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने लाहौर के कमिश्नर टांग हरुवे की अध्यक्षता में सहायता एवं बचाव पार्टी का गठन किया। इस पार्टी में पुलिस एवं सेना के जवानों और स्वयं सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया। इस भूकंप में कांगड़ा तहसील की ट्रेजरी का दफ्तर ही सुरक्षित रहा।
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