Saturday, 2 June 2018

बच्चों पर अधिक भरोसा ना करें, सुखमय वृद्धावस्था!



                       *सुखमय वृद्धावस्था*

*1.* अपने स्वयं के स्थायी स्थान पर रहें ताकि स्वतंत्र जीवन जीने का आनंद ले सकें।*

*2.*अपना बैंक बेलेंस और भौतिक संपत्ति अपने पास रखें, अति प्रेम में पड़कर किसी के नाम करने की ना सोचें।*

*3.* अपने बच्चों के इस वादे पर निर्भर ना रहें कि वो वृद्धावस्था में आपकी सेवा करेंगे, क्योंकि समय बदलने के साथ उनकी प्राथमिकता भी बदल जाती है और कभी कभी चाहते हुए भी वे कुछ नहीं कर पाते*

*4.*उन लोगों को अपने मित्र समूह में शामिल रखें जो आपके जीवन को प्रसन्न देखना चाहते हैं, यानी सच्चे हितैषी हों।*

*5.* किसी के साथ अपनी तुलना ना करें और ना ही किसी से कोई उम्मीद रखें।*

*6.* अपनी संतानों के जीवन में दखलन्दाजी ना करें, उन्हें अपने तरीके से अपना जीवन जीने दें और आप अपने तरीके से अपना जीवन जीएं।*

*7.* अपनी वृद्धावस्था को आधार बनाकर किसी से सेवा करवाने अथवा सम्मान पाने का प्रयास कभी ना करें।*

*8.* लोगों की बातें सुनें लेकिन अपने स्वतंत्र विचारों के आधार पर निर्णय लें।*

*9.* प्रार्थना करें लेकिन भीख ना मांगे, यहाँ तक कि भगवान से भी नहीं। अगर भगवान से कुछ मांगे तो सिर्फ माफ़ी और हिम्मत।*

*10.* अपने स्वास्थ्य का स्वयं ध्यान रखें, चिकित्सीय परीक्षण के अलावा अपने आर्थिक सामर्थ्य अनुसार अच्छा पौष्टिक भोजन खाएं और यथासम्भव अपना काम अपने हाथों से करें। छोटे कष्टों पर ध्यान ना दें, उम्र के साथ छोटी-मोटी शारीरिक परेशानीयां चलती रहती हैं।*

*11.* अपने जीवन को उल्लास से जीने का प्रयत्न करें खुद प्रसन्न रहने की चेष्टा करें और दूसरों को प्रसन्न रखें।*

*12.* प्रति वर्ष  अपने जीवन  साथी केे साथ भ्रमण/ छोटी यात्रा पर एक या अधिक बार अवश्य जाएं,  इससे आपका जीने का नजरिया बदलेगा।*

*13.* किसी भी टकराव को टालें एवं तनाव रहित जीवन जिऐं।*
 
*14.* जीवन में स्थायी कुछ भी नहीं है चिंताएं भी नहीं, इस बात का विश्वास करें।*

*15.* अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को रिटायरमेंट तक  पूरा कर लें, याद रखें जब तक आप अपने लिए जीना शुरू नहीं करते हैं तब तक आप जीवित नहीं हैं।*

*16.* तथा प्रतिदिन भगवान का सिमरन करें!

*खुशनुमा जीवन की शुभकामनाओं के साथ..!!

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