Friday, 23 June 2017

भगवान श्री जगन्नाथ जी का स्वप्न


   सर को झुकाना ही भक्ति नहीं है वास्तविक भक्ति तो अपने भीतर के अहम को झुकाना है
               Jai Shree Radha Sawami


पुरानी बात है, एक सेठ के पास एक व्यक्ति काम करता था । 
सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था l 
जो भी जरुरी काम हो सेठ हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था।
वो व्यक्ति भगवान का बहुत बड़ा भक्त था l 
वह सदा भगवान के चिंतन भजन कीर्तन स्मरण सत्संग आदि का
लाभ लेता रहता था ।
.
🔸 एक दिन उस ने सेठ से श्री जगन्नाथ धाम यात्रा करने के लिए कुछ दिन की छुट्टी
मांगी सेठ ने उसे छुट्टी देते हुए
कहा भाई मैं तो हूं संसारी आदमी
हमेशा व्यापार के काम में व्यस्त रहता हूं जिसके कारण
कभी तीर्थ गमन का लाभ
नहीं ले पाता ।
🔹 तुम जा ही रहे हो तो यह लो 100
रुपए मेरी ओर से श्री जगन्नाथ प्रभु के
चरणों में समर्पित कर देना । भक्त सेठ से सौ रुपए लेकर
श्री जगन्नाथ धाम यात्रा पर निकल गया.. .
🔸 कई दिन की पैदल यात्रा करने के बाद वह
श्री जगन्नाथ पुरी पहुंचा ।
मंदिर की ओर प्रस्थान करते समय उसने रास्ते में देखा
कि बहुत सारे संत , भक्त जन, वैष्णव जन, हरि नाम
संकीर्तन बड़ी मस्ती में कर
रहे हैं ।
🔹 सभी की आंखों से अश्रु धारा बह
रही है । जोर-जोर से हरि बोल, हरि बोल
गूंज रहा है । संकीर्तन में बहुत आनंद आ
रहा था । भक्त भी वहीं रुक कर
हरिनाम संकीर्तन का आनंद लेने लगा ।
.
🔸 फिर उसने देखा कि संकीर्तन करने वाले भक्तजन
इतनी देर से संकीर्तन करने के कारण
उनके होंठ सूखे हुए हैं वह दिखने में कुछ भूखे
भी प्रतीत हो रहे हैं उसने सोचा
क्यों ना सेठ के सौ रुपए से इन भक्तों को भोजन करा दूँ।
.
🔹 उसने उन सभी को उन सौ रुपए में से भोजन
की व्यवस्था कर दी। सबको भोजन कराने में
उसे कुल 98 रुपए खर्च करने पड़े ।
.
🔸 उसके पास दो रुपए बच गए उसने सोचा चलो अच्छा हुआ दो
रुपए जगन्नाथ जी के चरणों में सेठ के नाम से चढ़ा दूंगा l
जब सेठ पूछेगा तो मैं कहूंगा पैसे चढ़ा दिए । सेठ
यह तौ नहीं कहेगा 100 रुपए चढ़ाए । सेठ
पूछेगा पैसे चढ़ा दिए मैं बोल दूंगा कि , पैसे चढ़ा दिए ।
झूठ भी नहीं होगा और काम
भी हो जाएगा ।
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🔹 भक्त ने श्री जगन्नाथ जी के
दर्शनों के लिए मंदिर में प्रवेश किया श्री जगन्नाथ
जी की छवि को निहारते हुए 
अपने हृदय में उनको विराजमान कराया ।
अंत में उसने सेठ के दो
रुपए श्री जगन्नाथ जी के चरणो में चढ़ा दिए ।
और बोला यह दो रुपए सेठ ने भेजे हैं ।
.
🔸 उसी रात सेठ के पास स्वप्न में श्री
जगन्नाथ जी आए आशीर्वाद दिया और बोले
सेठ तुम्हारे 98 रुपए मुझे मिल गए हैं यह कहकर
श्री जगन्नाथ जी अंतर्ध्यान हो गए ।
.
🔹 सेठ जाग गया सोचने लगा मेरा नौकर तौ बड़ा ईमानदार है ,
पर अचानक उसे क्या जरुरत पड़ गई थी उसने दो रुपए
भगवान को कम चढ़ाए? उसने दो रुपए का क्या खा लिया ? 
उसे ऐसी क्या जरूरत पड़ी ? 
ऐसा विचार सेठ करता रहा ।
.
🔸 काफी दिन बीतने के बाद भक्त वापस
आया और सेठ के पास पहुंचा। सेठ ने कहा कि मेरे पैसे
जगन्नाथ जी को चढ़ा दिए थै ? भक्त बोला हां मैंने
पैसे चढ़ा दिए ।
.
🔹 सेठ ने कहा पर तुमने 98 रुपए क्यों चढ़ाए दो रुपए किस काम
में प्रयोग किए । तब भक्त ने सारी बात बताई
की उसने 98 रुपए से संतो को भोजन करा दिया था । और
ठाकुर जी को सिर्फ दो रुपए चढ़ाये थे ।
.
🔸 सेठ सारी बात समझ गया व बड़ा खुश हुआ तथा
भक्त के चरणों में गिर पड़ा और बोला आप धन्य हो
आपकी वजह से मुझे श्री जगन्नाथ
जी के दर्शन यहीं बैठे-बैठे हो
गए l
सन्तमत विचार-
भगवान को आपके धन की कोई
आवश्यकता नहीं है । भगवान को वह 98
रुपए स्वीकार है जो जीव मात्र
की सेवा में खर्च किए गए और उस दो रुपए का कोई
महत्व नहीं जो उनके चरणों में नगद चढ़ाए गए l

Ajay Singh
9675300547

Friday, 16 June 2017

अपनों का दिया दुख दिल को भेद देता है

                   *दिल को छू जाने वाली कहानी*

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एक सुनार था, उसकी दुकान से मिली हुई एक लोहार की दुकान थी।
सुनार जब काम करता तो उसकी दुकान से बहुत धीमी आवाज़ आती, किन्तु जब लोहार काम करता तो उसकी दुकान से कानों को फाड़ देने वाली आवाज़ सुनाई देती।
एक दिन एक सोने का कण छिटक कर लोहार की दुकान में आ गिरा। वहाँ उसकी भेंट लोहार के एक कण के साथ हुई।
सोने के कण ने लोहे के कण से पूछा- भाई हम दोनों का दुख एक समान है, हम दोनों को ही एक समान आग में तपाया जाता है और समान रूप ये हथौड़े की चोट सहनी पड़ती है।
मैं ये सब यातना चुपचाप सहता हूँ, पर तुम बहुत चिल्लाते हो, क्यों?
लोहे के कण ने मन भारी करते हुऐ कहा-
तुम्हारा कहना सही है, किन्तु तुम पर चोट करने वाला हथौड़ा तुम्हारा सगा भाई नहीं है।
मुझ पर चोट करने वाला लोहे का हथौड़ा मेरा सगा भाई है।
परायों की अपेक्षा अपनों द्वारा दी गई चोट अधिक पीड़ा पहुचाँती है
Ajay Singh
9675300547

Friday, 9 June 2017

स्वर्ग- नर्क का हिसाब,वही हुआ जो उसे मंजूर था

         What is Karam? How it works?

अनजाने कर्म का फल

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा थाWhat is Karam? How it works?

अनजाने कर्म का फल

VERY INTRESTING

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था ।
राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था ।
उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी ।
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला । 
तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था, उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई ।
किसी को कुछ पता नहीं चला ।
फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मौत हो गयी ।
अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ ।

ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईया .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है ....
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....

बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका (Pending) रहा ....

फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।
उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई ....जरा ध्यान रखना .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।"

बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला (decision) ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।

यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों ??
जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका (role) भी नहीं थी ।
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला .... ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ।
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ।

बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से (बु
ई) करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं ।

अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पापI नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया .... ??

ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता हैं 
(Ajay Singh)
9675300547


A very deep philosophy of Karma example ☝

Monday, 5 June 2017

PONG DAM YEAR 1971

                          PONG DAM

                     Nandpur Bhatoli

हिमाचल प्रदेश राज्य के जिला कांगडा़ घाटी मे बना पौंग बांध
हमेशा अपने अतीत को दोहराता है! वर्ष 1971 में बना ये बांध जिसमे कई गांवो को सरकार ने खाली करवाया , प्रदेश के विकास के लिए हजारों लोगों ने कुर्बानीया दी!हंसते खेलते परिवार  अपना घर परिवार जमीन छोड़ कर के ऐक अंजान राह पर चले गये!अपनों से बिछड़ने का गम क्या होता है यह तो वही समझ सकता है जिसने पौंग बांध में अपना बसा हुआ घर छोड़ा हो! और जब वह आज इस पानी को देखता हो तो उसे महसूस होता हो कि इस जल के भीतर मेरा घर परिवार जमीन है व बीते हुये जीवन की यादें हैं तो शायद पल दो पल के लिए उसकी आंखें नम होने में मजबूर हो जाती हो !इन्हीं कुछ यादों को जिंदा रखने के लिए माननीय म्यूजिक डायरेक्टर श्री परमजीत पम्मी तथा गायक अजय सिंह ने इस दृश्य को पब्लिक के सामने लाने के लिए ऐसे गाने को लिखा तथा उसका प्यारा सा म्यूजिक बनाकर के भैरवी म्यूजिक स्टूडियो हिमाचल प्रदेश में रिकॉर्ड किया !कृपया इस सलाईड वीडियो को देखने के बाद इस वीडियो को शेयर अवश्य करें!
(यह पूरा गाना एल्बम 'हे विधाता 'से है आप इस पूरे गाने को MP3 Whatsaap  के जरिये से हमसे ले सकते हैं या मुझसे कांटेक्ट करके भी)
9675300547Mb.
Ajay Singh



प्रभु की महिमा

* हरिनाम जप किस प्रकार करें * जप करने के समय स्मरण रखने वाली कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बातें : पवित्र हरिनाम को भी अर्च-विग्रह और पवित्र धाम ...